गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा ?

नाथूराम विनायक गोडसे का जन्म 19 में 1910 को हुआ था यह एक मराठी चित पवन ब्राह्मण परिवार से VLONG  करता था नाथूराम के पिता का नाम विनायक वामन राव गोडसे एक डाक कर्मचारी थे

नाथूराम विनायक गोडसे के पिता डाक कर्मचारी होने के कारण ही इनकी पिता की बहुत से कहानियों में इनके पिता का जिक्र किया गया है  |

नाथूराम के पिता पद के अनुसार इनके पिता के पास भरण पोषण के लिए पैसा कम हुआ करते थे | नाथूराम गोडसे का जन्म के समय में रामचंद्र नाम था

 

नाथूराम  गोडसे विनायक से रामचंद्र नाम कैसे पड़ा ?

नाथूराम गोडसे से पहले तीन भाई जन्म लिए 1901 में 1904 में 1907 में तीनों मर गए हैं नाथूराम के पिता ने SOCHA KEE  कि शायद घर में कोई शराब है इसलिए बेटा नहीं जिंदा रह रहा है इसलिए रामचंद्र को बेटी की  तरह परवरिश करते हुए रामचंद्र को बड़ा किया जा रहा था तो उसकी नाक में नाथ डलवा दी गई उसे फ्रॉक पहने लड़कियों की तरह कपड़े पहन कर बड़ा किया जा रहा था तभी लोग रामचंद्र को नाथूराम नाम से जानने लगा |

इस तरह नाथूराम का पालन होता गया उसके बाद में उनके भाई जन्म लिए जिनका नाम दत्तात्रेय  था AUR  दो भाई गोपाल और गोविंदा का जन्म हुआ |

नाथूराम गोडसे बचपन में शर्मिला हुआ करता था

नाथूराम गोडसे के पिता का मन था कि नाथूराम अंग्रेजी PRAHE पिता ने अपने मौसी के घर नाथूराम को भेज दिया मौसी के घर में नाथूराम को आजादी NAHI मिल रही थी परिवार में जो अटेंशन मिलती थी अब वह नहीं मिल रहा था

धीरे-धीरे नाथू राम ने पूजा पाठ करना भी बंद कर दिया था |

नाथूराम हाई स्कूल की परीक्षा पास नहीं कर सका था इसके चलते 1928 में अपनी मौसी की घर छोड़कर किराए के घर में रहने लगा

नाथूराम गोडसे दोस्तों के साथ अब रहने लगा दोस्तों के साथ रहते रहते उसने 3218 मीटर पानी में तैर सकता था

परीक्षा में इंग्लिश में नाथूराम गोडसे फेल हो गया और उनको पढ़ने में इतना नफरत हो गया कि वह अपने रत्नागिरी घर आ गए 1929 रत्नागिरी घर आने के बाद उनके पिता का फिर ट्रांसफर हो जाता है।

 

1930 में नाथूराम गोडसे का मुलाकात विनायक दामोदर सावरकर से होती है ?

विनायक दामोदर सावरकर अंडमान के सेल्यूलर जेल में अपनी सजा पूरी करके रत्नागिरी आ जाते हैं।

गोपाल गोडसे के अनुसार संयोग से सावरकर जब रत्नागिरी आए तो वहीं पर रुके थे जहां हम रहते थे बाद में वह दूसरी गली के दूसरे छोर पर दूसरे घर पर शिफ्ट हो गए |

विनायक सावरकर के आते हैं नाथूराम गोडसे दोनों में अच्छा संबंध हो गया था यह बात नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे ने अपने कथन पर लिखा था

गोडसे जब सावरकर के संपर्क में आया था तब उनकी उम्र मात्र 19 साल की थी क्योंकि लंबी कद काठी वाले सावरकर विदेश से पढ़ते थे और सेलुलर जेल के एक साल कैद रहने के बाद लौटे थे सावरकर की बात और व्यक्तित्व ने प्रभावित किया था अगले 5 सालों तक दोनों की कोई मुलाकात नहीं हुई |

लेकिन गोडसे फिर भी सावरकर बातों से प्रभावित होता रहा |

जब गांधी जी का हत्या का प्रश्न आता है तो सावरकर का भी नाम आता है बाद में सावरकर रिहा हो जाता है ।

नाना आप्टे नाथूराम गोडसे विष्णु पथ कर करें बड़े मदनलाल पेहवा सांकल किस्त्या इनमें से पहले वह व्यक्ति है जो नाथूराम के साथ में फांसी की सजा मिली थी

इनमें से पेहवा वह व्यक्ति है जो गांधी को MAरने के लिए बम फेंकने गया था लेकिन लोगों के द्वारा देखे जाने पर पेहवा को गिरफ्तार कर लिया गया था

नाना आप्टे वह व्यक्ति है जो गोडसे के साथ फांसी मिली थी 

 

 

 

विनायक सावरकर द्वारा 1857 का स्वतंत्रता समर किताब लिखी गई ?

इस पुस्तक को गोडसे से पढ़ता भी था और परिवार जनों सुनता भी था गोपाल गोडसे से नहीं लिखा था कि 1857 में स्वतंत्रता समर किताब जब लेकर आया था तब हम लोग भी को रात में सुनाया करता था

 

गोडसे के परिवार सांगली क्यों चले जाते हैं।

1933 में गोडसे के पिता परिवार के एकमात्र कमाओ इंसान विनायक राव रिटायर हो जाते हैं पेंशन से घर चलना मुश्किल होने लगता है परिवार को लेकर रत्नागिरी से 175 किलोमीटर दूर संगले चले जाते हैं।

गोडसे 1932 में Rss ज्वाइन करते हैं।

गोडसे अब सांगली आ चुका है खर्च चलाने के लिए गोडसे ने अपनी फल की दुकान kolta hain लेकिन वह फल की दुकान फेल हो jata हैं।

इसके बाद गोडसे के बड़ी बहन नौकरी के लिए मथुरा चला गया कई नौकरी में हाथ बढ़ाया लेकिन वहां नौकरी नहीं मिल पाई इस दौरान 1934 में में उनके पिता का तबीयत खराब हो गया तो फिर वह मथुरा से सांगली आ गए |

गोडसे की बड़ी बहन ने सांगली जाकर सिलाई का काम सीखा और चरित्र उद्योग नाम से एक दुकान खोल kholta हैं।

 

गोडसे संगठन का संघ रिश्ता  का क्या है ?

गोपाल गोडसे और नाथूराम गोडसे साथ में ही जेल जाते हैं उसका बयान यह है कि Rss कभी नहीं छोड़ी है 2005 में गोपालग  की मृत्यु हो जाती है गोडसे के पर पोते(grate grand son) ने 1932 में Rss शामिल होने का जिक्र किया है |

15 नवंबर 1949 को फांसी पर चढ़ा जाने से पहले गोडसे ने Rss प्रार्थना की शुरुआती चार पंक्तियां भी दोहराई थी इसे दोबारा  पता चलती है की गोडसे   RSS का संगठन सक्रिय था

 

गांधी जी का मारने का प्लान का समय आया 

2 जनवरी 1945 को गांधी जी की हत्या के प्लानिंग के लिए पहली बार गोडसे और आप्टे अहमद नगर Deccan guest house उसमें मिलकर करते हैं |

गेस्ट हाउस हिंदू महासभा का सदस्य विष्णु कृष्ण करकरे ने इन दोनों को यहीं पर मदनलाल पेहवा से मिलवाया था

9 जनवरी 1948 को हिंदू राष्ट्र अखबार के दफ्तर में गोडसे दत्त विष्णु करकरे और मदन लाल पेहवा फिर से मिलते हैं यही सप्ताह भर बाद दिल्ली जाने का प्लान बनता है तय किया गया मदनलाल पेहवा गांधी जी को गोली मारेगी यहां पर या निर्णय होता है |

इस वक्त हत्या की तारीख 19 जनवरी को तय की जाती है लेकिन मदनलाल व्यवहार 18 जनवरी को अपने पार्टी से हाथ खड़ा कर दिया मैं गांधी जी को नहीं मारूंगा

प्लान बना की प्रार्थना सभा से दूर पेहवा  एक विस्फोट करेगा जिससे लोगों का ध्यान भंग हो जाएगा  भगदड़ मचा देंगे और गांधी जी को गोली मार देंगे

20 जनवरी 1947 को जैसे ही पेहवा विस्फोट कर दिया एक महिला ने देख लिया और वह पकड़ा गया वहां से ही दत्तात्रेय आप्टे गोडसे और अन्य सहयोगी भाग निकली

10 जनवरी को भूमिगत रहने के बाद गोडसे ने ताई किया कि वह गांधी को खुद ही गोली मारेंगे फिर 27 जनवरी को दत्तात्रेय और नाथूराम गोडसे दिल्ली आए रात की ट्रेन से ग्वालियर पहुंच।

यहां अपने विश्वासपात्र दत्तात्रेय परचरी के मदद से पिस्तौल का इंतजाम किया और 29 जनवरी को दिल्ली लौट अगले ही दिन शाम के 5: बजे बिरला भवन के मैदान में गांधी के प्रार्थना सभा से ठीक पहले उसके सामने गांधी के सीने में तीन गोलियां दाग दी

 

 

गोडसे ने आखिर में गांधी की हत्या क्यों की ?

30 जनवरी 1948 को जब दिल्ली की बिरला भवन में योजना की तरह प्रार्थना का समय था शाम की 5:15 उसे दिन गांधी से मिलने सरदार पटेल पहुंचे थे दोनों में बातचीत कुछ लंबे समय तक चला था महात्मा गांधी को समय का कुछ पता नहीं चला प्रार्थना सभा पहुंचने में वह कुछ देर हुई अपने भतीजियों का हाथ थाम कर 5:15 पर प्रार्थना सभा पहुंचे लोगों में हाल-चाल थी बापू आ गए हैं तभी खाकी बुश जैकेट और नील पेंट पहने एक व्यक्ति आय और बापू के पांव छुए भतीजी ने उसे आदमी से कहा बापू पहले ही 10 मिनट लेट आए हैं उन्हें क्यों शर्मिंदा करते हो

यह व्यक्ति था नाथूराम गोडसे उसने अपने लास्ट limces ऑफ़ गांधी में मनु बहन ने लिखा है की गोडसे ने जोर का धक्का मारा जिसे उसे हाथ में रखा सारा सामान जमीन पर गिर गया

सामान उठाने के लिए जैसे ही मनु बहन की पीछे से गोलियां चलने की आवाज आई UTH  कर देखा तो गांधी जी नीचे पड़े थे उन्हें अंदर ले जाया गया लेकिन उसे दिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थे उनका बहुत सा खून बह चुका था कुछ ही मिनट में उन्होंने प्राण त्याग दी

 

 

 

 

 

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