NEFT RTGS IMPS कैसे अलग है UPI !

upi से  सब्जी वाले हो या ठेला वाले हो रेस्टोरेंट हो या ऑटो चालक वाले कहीं भी कभी भी आपको कितने का पेमेंट करना हो आप एक क्लिक में तुरंत पेमेंट कर सकते हैं | पेमेंट करवाने के लिए आपको कोई क्यूआर कोड दिखा देता है ,तो कोई मोबाइल नंबर दे देता है  |

इतनी आसानी से पेमेंट सिर्फ हिंदुस्तान में ही होता है  |इसका क्रेडिट जाता है NPCI के बने हुए UPI Paytm system को आज इसी UPI के पूरे जर्नी के बारे में जानेंगे साथ में ये  भी जानेंगे की टेक्नोलॉजी के मामले में इंडिया को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया गया है |

HISTORY OF UPI !

UPI यानी यूपीआई पेमेंट इंटर ऑनलाइन सिस्टम है | इसी RBI  के एक ऑर्गनाइजेशन द्वारा संचालित किया जाता है जिसका नाम है NPCI ने बनाया है ,यूपीआई की शुरुआत अप्रैल 2016 में हुआ था यूपीआई के जरिया ग्रहक को एक खाते से दूसरे खाते में आसानी से पैसा भेज सकते हैं यूपीआई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आपने SEND मनी किया और दूसरे के अकाउंट में तुरंत Recived हो जाता हैं |

लाखों का ट्रांजैक्शन एक क्लिक में आप तुरंत कर सकते हैं . लेकिन सवाल उठता है. ये की है , मनी ट्रांसफर के लिए पहले से बहुत सारे ऑप्शन थे जैसे की IMPS RTGS NFT फिर UPI ने कौन सा बाजा बजा दिया या इसे फिर लाया क्यों गया ?

UPI क्यों लाया गया इंडिया में !

UPI  के बारे में जानने के लिए आपको थोड़ा मनी ट्रांसफर के deep में जाना पड़ेगा | 1990 में आरबीआई ने ECS लाया था इसका used सिर्फ सैलरी और पेंशन का पैसा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था लेकिन आम आदमी के लिए आसान नहीं था  |

RTGS :- RBI ने 2004 में RTGS  लेकर आया था इससे भारी रकम को भेजने के लिए सीधे खातों में लाया गया था तुरंत पैसे भेजने में तो इनका सॉल्यूशन निकल जाता था लेकिन इनकी टेक्नोलॉजी काफी महंगी थी

इसलिए RBI  ने इनका इस्तेमाल सिर्फ उन्हीं लोगों को करने दिया जो 2 लाख से ट्रांजैक्शन ऊपर करता हो |  जो 2 लाख से नीचे ट्रांजैक्शन करता हो उसका क्या |

Neft :-इसमें आप अनलिमिटेड पैसा भेज सकते थे , लेकिन पैसा भेजने के लिए आपको एक घंटा का समय लगता था यानी ये ट्रांसफर तुरंत नहीं होता था | RBI ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को एडवांस बनाने के लिए और एक स्कीम लाया |

Imps इसमें क्यूट ट्रांसफर होता था | लेकिन इसमें और एक और असुविधा थी इसमें ₹1 ट्रांसफर करने पर कस्टमर का पूरा डिटेल्स देना पड़ता था जैसे अकाउंट नंबर अकाउंट होल्डर का नाम ब्रांच ifsc कोड ये सब सारे चीज फुलफिल करना पड़ता था | और असुविधा के कारण आरबीआई ने UPI लॉन्च कर दिया | |

upi आने के बाद आपको कोई नाम अकाउंट होल्डर का नाम या आईएफएससी कोड देने की जरूरत नहीं होती है इसमें सिर्फ एक वर्चुअल आईडी होती है |  UPI मैं पेमेंट करने के लिए इसी वर्चुअल id का इस्तेमाल किया जाता है upi लांच होने के बाद इसकी पापुलैरिटी गांव-गांव में छा गई है |

 

UPI! की पापुलैरिटी की वजह क्या है !

AADHAR CARD  Smart phone &Phone  :-आधार कार्ड आने के बाद बैंकों में अकाउंट खुलना आसान हो गया जिओ ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने वाले संभावित यूजर थे उनकी बेस बड़  | गांव घरों में इसकी पापुलैरिटी काफी बड़ी क्योंकि गांव घर में एटीएम बैंक का ज्यादा सुविधा नहीं होता है इसलिए गांव के लोग ज्यादातर upi का ही सहारा लेते हैं |

आज से 10 साल पहले किसी- किसी के पास स्मार्टफोन हुआ करता था , लेकिन आज के डेट में ऐसी मुसीबत टल गई है मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 75 करोड लोगों के पास स्मार्ट फोन है, जो 2026 में आते-आते स्मार्टफोन एक अरब हो सकता है |

जैसे-जैसे लोगों को हाथ में फोन आएंगे डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ना तय हैं | इसके अलावा UPIसे ट्रांजैक्शन करने पर एक्स्ट्रा भी नहीं देनी पड़ती है

 

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